Friday, August 26, 2011

मातृभाषा

मातृभाषा / स्वभाषा

निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल । बिनु निज भाशा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल ॥

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र


भाषा हमारे सोचने के तरीके को स्वरूप प्रदान करती है और निर्धारित करती है कि हम क्या-क्या सोच सकते हैं ।

बेन्जामिन होर्फ


आर्थिक युद्ध का एक सूत्र है कि किसी राष्ट्र को नष्ट करने के का सुनिश्चित तरीका है , उसकी मुद्रा को खोटा कर देना । (और) यह भी उतना ही सत्य है कि किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना ।

..(लेकिन) यदि विचार भाषा को भ्रष्ट करते है तो भाषा भी विचारों को भ्रष्ट कर सकती है ।

जार्ज ओर्वेल


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