Friday, February 16, 2007

देश हमे देता है सब कुछ

देश हमे देता है सब कुछ,

देश हमे देता है सब कुछ,
हम भी तो कुछ देना सीखे ॥०॥

सूरज हमे रोशनी देता,हवा नया जीवन देती है ॥
भूख मिटाने को हम सब की,धरती पर होती खेती है ॥
औरों का भी हित हो जिस मे,हम ऐसा कुछ करना सीखे ॥१॥

गरमी की तपती दुपहर मे,पेड सदा देते है छाया ॥
सुमन सुगन्ध सदा देते है,हम सब को फूलों की माला ॥
त्यागी तरुओं के जीवन से,हम परहित कुछ करना सीखे ॥२॥

जो अनपढ है उन्हे पढाये,जो चुप है उनको वाणी दे ॥
पिछढ गये जो उन्हे बढाये,समरसता क भाव जगा दे ॥
हम मेहनत के दीप जला कर,नया उजाला करना सीखे ॥३॥

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